काशी तो अविनाशी है। काशी में एक ही सरकार है,जिनके हाथों में डमरू है-प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज अपने दो दिवसीय दौरे पर उत्तर प्रदेश के वाराणसी पहुंचे इस दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने उनका स्वागत किया।प्रधानमंत्री मोदी ने काशी विश्वनाथ धाम का लोकार्पण किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वाराणसी के खिड़कियां घाट से क्रूज़ में बैठकर ललिता घाट गये प्रधानमंत्री ने वाराणसी में काल भैरव मंदिर में दर्शन और काल भैरव मंदिर में आरती भी की, प्रधानमंत्री मोदी नेकाशी विश्वनाथ मंदिर में पूजा अर्चना भी की बाद में प्रधानमंत्री ने फूल बरसाकर काशी विश्वनाथ धाम के निर्माण में काम करने वाले श्रमिकों का अभिवादन किया,

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प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में कहा काशी तो काशी है! काशी तो अविनाशी है।काशी में एक ही सरकार है, जिनके हाथों में डमरू है, उनकी सरकार है।जहां गंगा अपनी धारा बदलकर बहती हों, उस काशी को भला कौन रोक सकता है,अभी मैं बाबा के साथ साथ नगर कोतवाल कालभैरव जी के दर्शन करके भी आ रहा हूँ, देशवासियों के लिए उनका आशीर्वाद लेकर आ रहा हूँ।काशी में कुछ भी खास हो, कुछ भी नया हो, उनसे पूछना आवश्यक है।मैं काशी के कोतवाल के चरणों में भी प्रणाम करता हूँ,हमारे पुराणों में कहा गया है कि जैसे ही कोई काशी में प्रवेश करता है, सारे बंधनों से मुक्त हो जाता है।भगवान विश्वेश्वर का आशीर्वाद, एक अलौकिक ऊर्जा यहाँ आते ही हमारी अंतर-आत्मा को जागृत कर देती है

आप यहाँ जब आएंगे तो केवल आस्था के दर्शन नहीं करेंगे।आपको यहाँ अपने अतीत के गौरव का अहसास भी होगा।कैसे प्राचीनता और नवीनता एक साथ सजीव हो रही हैं,कैसे पुरातन की प्रेरणाएं भविष्य को दिशा दे रही हैं,इसके साक्षात दर्शन विश्वनाथ धाम परिसर में हम कर रहे हैं

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विश्वनाथ धाम का ये पूरा नया परिसर एक भव्य भवन भर नहीं है,ये प्रतीक है, हमारे भारत की सनातन संस्कृति का!ये प्रतीक है, हमारी आध्यात्मिक आत्मा का!ये प्रतीक है, भारत की प्राचीनता का, परम्पराओं का!भारत की ऊर्जा का, गतिशीलता कापहले यहाँ जो मंदिर क्षेत्र केवल तीन हजार वर्ग फीट में था, वो अब करीब 5 लाख वर्ग फीट का हो गया है।अब मंदिर और मंदिर परिसर में 50 से 75 हजार श्रद्धालु आ सकते हैं।यानि पहले माँ गंगा का दर्शन-स्नान, और वहाँ से सीधे विश्वनाथ

मैं आज अपने हर उस श्रमिक भाई-बहन का भी आभार व्यक्त करना चाहता हूं जिसका पसीना इस भव्य परिसर के निर्माण में बहा है।कोरोना के विपरीत काल में भी, उन्होंने यहां पर काम रुकने नहीं दिया।मुझे अभी अपने इन श्रमिक साथियों से मिलने का, उनका आशीर्वाद लेने का सौभाग्य मिला है,

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यहाँ अगर औरंगजेब आता है तो शिवाजी भी उठ खड़े होते हैं,अगर कोई सालार मसूद इधर बढ़ता है तो राजा सुहेलदेव जैसे वीर योद्धा उसे हमारी एकता की ताकत का अहसास करा देते हैं।और अंग्रेजों के दौर में भी, हेस्टिंग का क्या हश्र काशी के लोगों ने किया था, ये तो काशी के लोग जानते ही हैं,आतातायियों ने इस नगरी पर आक्रमण किए, इसे ध्वस्त करने के प्रयास किए,औरंगजेब के अत्याचार, उसके आतंक का इतिहास साक्षी है। जिसने सभ्यता को तलवार के बल पर बदलने की कोशिश की,जिसने संस्कृति को कट्टरता से कुचलने की कोशिश की,लेकिन इस देश की मिट्टी बाकी दुनिया से कुछ अलग है,

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