नई स्वदेशी तकनीक से जल्द ही इलेक्ट्रिक वाहनों के बैटरी की कीमत घटेगी
नई स्वदेशी तकनीक से जल्द ही इलेक्ट्रिक वाहनों के बैटरी कीमत घटेगी
इंटरनेशनल एडवान्स्ड रिसर्च सेंटर फॉर पाउडर मेटलर्जी एंड न्यू मटेरियल्स (एआरसीआई) ने लीथियम-आयन बैटरी के लिए बैटरी-ग्रेड कैथोड सामग्री प्रौद्योगिकी हेतु एलॉक्स मिनरल्स के साथ प्रौद्योगिकी हस्तांतरण समझौते पर हस्ताक्षर किए लीथियम-आयन बैटरी (एलआईबीज) के लिए कैथोड सामग्री का उत्पादन करने हेतु एक नई स्वदेशी तकनीक के प्रयोग से जल्द ही इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए आवश्यक बैटरी के मूल्य में कमी आ सकती है। कैथोड सामग्री की लागत ही (एलआईबीज) की कुल लागत में महत्वपूर्ण योगदान दे देती है, और भारत इन सामग्रियों के आयात पर बहुत अधिक निर्भर है।
विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार के एक स्वायत्त अनुसंधान एवं विकास केंद्र, पाउडर धातुकर्म और नई सामग्री के लिए अंतर्राष्ट्रीय उन्नत अनुसंधान केंद्र (इंटरनेशनल एडवान्स्ड रिसर्च सेंटर फॉर पाउडर मेटलर्जी एंड न्यू मटेरियल्स -एआरसीआई) ने अपने नैनोमटेरियल्स केंद्र में ली-आयन बैटरियों (एलआईबीज) के लिए लीथियम आयरन फॉस्फेट (एलएफपी) कैथोड सामग्री के उत्पादन के लिए एक स्वदेशी तकनीक विकसित की है। एआरसीआई और हैदराबाद स्थित कंपनी एलॉक्स मिनरल्स ने को प्रौद्योगिकी की जानकारी हस्तांतरण के लिए कल 12 अगस्त 2021 को एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं।
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एआरसीआई प्रशासनिक परिषद के अध्यक्ष डॉ. अनिल काकोडकर ने पूरक क्षमताओं वाले विभिन्न संगठनों के बीच तालमेल रखने के महत्व पर जोर दिया है। तदनुसार ही अनुसंधान एवं विकास संगठनों, उद्योग और सरकार को भारत में बैटरी चालित वाहनों के प्रचलन (ईवी मोबिलिटी) को विकसित करने और मिलकर काम करने की जरूरत है। उन्होंने एआरसीआई और एलॉक्स मिनरल्स को प्रौद्योगिकी को आगे बढ़ाने और ईवी डोमेन के लिए आवश्यक प्रौद्योगिकियों में राष्ट्र की आत्मनिर्भरता में अपना योगदान देने के लिए बधाई दी।
एआरसीआई के निदेशक (अतिरिक्त प्रभार) डॉ. टाटा नरसिंग राव ने कहा कि कैथोड सामग्री की लागत मात्र ही एलआईबी की समग्र लागत में महत्वपूर्ण योगदान दे देती है, और चूंकि भारत इन सामग्रियों के आयात पर बहुत अधिक निर्भर है, इसलिए इलेक्ट्रोड सामग्री का निर्माण और एलआईबी प्रौद्योगिकी में औद्योगिक संगठनों का समर्थन करके स्वदेशी रूप से इसके लिए प्रौद्योगिकी विकसित करना बहुत आवश्यक हो गया है।
‘आत्मनिर्भर भारत अभियान’ या ‘आत्मनिर्भर भारत मिशन’ के अनुरूप इस प्रौद्योगिकी को वैकल्पिक ऊर्जा सामग्री और प्रणालियों पर तकनीकी अनुसंधान केंद्र (टीआरसी) के तहत विकसित किया गया था और इस प्रौद्योगिकी के लिए गैर-अनन्य (नॉन-एक्सक्लूसिव) आधार पर स्थानांतरण की आवश्यक जानकारी भी उपलब्ध है
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