शरद नवरात्रि 2021, शुभ मुहूर्त और पूजा का विधान
शरद नवरात्रि 2021
शरद नवरात्रि 2021 भारतियों का नवरात्रि एक प्रमुख त्योहार होता है| नवरात्रि त्योहार साल में चार बार आता है।पौष, चैत्र, आषाढ,अश्विन मास में प्रतिपदा से नवमी तक मनाया जाता है। अश्विन मास की नवरात्रि को प्रमुख नवरात्रि माना जाता है। नवरात्रि मां दुर्गा मां भगवती का एक आराधना का पर्व होता है नवरात्रि शब्द संस्कृत का एक शब्द है जिसका अर्थ है 9 रातें,यह जो नवरात्रि अर्थात 9 राते और 10 दिन होते हैं
इन दिनों देवी मां की अलग अलग स्वरूपों की महालक्ष्मी, महासरस्वती और महाकाली के नौ स्वरुपों की पूजा की जाती है|और दसवाँ दिन दशहरा मनाया जाता है और इन दिनों नौ देवियों के जहां जहां मंदिर होते हैं वहां श्रद्धालुओं की दर्शन के लिए भीड़ लगी रहती है |
नवरात्रों को भारत के अलग-अलग भागों में मनाने का तरीका भी अलग अलग होता है गुजरात में नवरात्रि त्योहार को डांडिया और गरबा के रूप में खूब मनाया जाता है|वैसे ही बंगाल में दुर्गा पूजा वहां की सबसे प्रमुख त्योहारों में से एक है| इन दिनों देवी के शक्तिपीठ मंदिरों में मेलों का आयोजन भी होता है
शरद नवरात्रि 2021 कब से आरंभ हो रहे हैं
शरद ऋतु आरंभ हो चुकी है शरद नवरात्रि 2021 का पर्व शास्त्री विनीत शर्मा के अनुसार 07 अक्टूबर 2021, गुरुवार से आरंभ हो रहे हैं और 15 अक्टूबर 2021 को समाप्त होगा. इस वर्ष षष्ठी तिथि का क्षय होने से नवरात्रि आठ ही दिन का रहेगा। विजय दशमी का पर्व 15 अक्तूबर को मनाया जाएगा। इस बार शारदीय नवरात्रि में माता का आगमन घोड़े पर हो रहा है। और माता का प्रस्थान हाथी पर हो रहा है|माता का आगमन सामान्य फलदायक रहेगा, माता का प्रस्थान शुभ फलदायक रहेगा।
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शरद नवरात्रि 2021 घट स्थापना का मुहूर्त
कलश स्थापना पंचांग के अनुसार गुरुवार को 07 अक्टूबर 2021,.
घटस्थापना मुहूर्त प्रात: 06:17 से प्रात: 07:07 तक कर सकते हैं.
घटस्थापना अभिजित मुहूर्त प्रात: 11:45 से दोपहर 12:32 तक बना हुआ है
नवरात्रि की नौ देवियों का स्वरूप
1-शैलपुत्री – इसका अर्थ- शैल पहाड़ को कहा जाता है पहाड़ों की पुत्री होता है।
2-ब्रह्मचारिणी – इसका अर्थ- ब्रह्मचारीणी।
3-चंद्रघंटा – इसका अर्थ- चाँद की तरह चमकने वाली।
4-कूष्माण्डा – इसका अर्थ- पूरा जगत उनके पैर में है।
5-स्कंदमाता – इसका अर्थ- कार्तिक स्वामी की माता।
6-कात्यायनी – इसका अर्थ- कात्यायन आश्रम में जन्मि।
7-कालरात्रि – इसका अर्थ- काल का नाश करने वली।
8-महागौरी – इसका अर्थ- सफेद रंग वाली मां।
9-सिद्धिदात्री – इसका अर्थ- सर्व सिद्धि देने वाली माता।
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शरद नवरात्रि 2021 में माँ दुर्गा के नौ रूपों की पूजा का विधान
पहला दिन – शरद नवरात्र 2021, 1वां दिन माँ शैलपुत्री पूजा के लिए समर्पित होता है देवी दुर्गा के नौ रूपों में से प्रथम रूप है। मां शैलपुत्री चंद्रमा को दर्शाती हैं और इनकी पूजा से चंद्रमा से संबंधित दोष समाप्त हो जाते हैं।
दूसरा दिन – माँ ब्रह्मचारिणी पूजा के लिए 2वां दिन दिन समर्पित होता है ज्योतिषीय मान्यता के अनुसार देवी ब्रह्मचारिणी मंगल ग्रह को नियंत्रित करती हैं। देवी की पूजा से मंगल ग्रह के बुरे प्रभाव कम होते हैं।
तीसरा दिन – माँ चंद्रघंटा की पूजा के लिए तीसरा दिन समर्पित होता है देवी चंद्रघण्टा शुक्र ग्रह को नियंत्रित करती हैं। देवी की पूजा से शुक्र ग्रह के बुरे प्रभाव कम होते हैं।
चौथा दिन- माँ कूष्मांडा पूजा के लिए 4वां दिन समर्पित होता है माँ कूष्माण्डा सूर्य का मार्गदर्शन करती हैं अतः इनकी पूजा से सूर्य के कुप्रभावों से बचा जा सकता है।
पांचवा दिन – माँ स्कंदमाता पूजा के लिए 5वां समर्पित होता है देवी स्कंदमाता बुध ग्रह को नियंत्रित करती हैं। देवी की पूजा से बुध ग्रह के बुरे प्रभाव कम होते हैं।
छठा दिन – माँ कात्यायनी पूजा के लिए 6वां दिन समर्पित होता है देवी कात्यायनी बृहस्पति ग्रह को नियंत्रित करती हैं। देवी की पूजा से बृहस्पति के बुरे प्रभाव कम होते हैं।
सातवां दिन – माँ कालरात्रि पूजा के लिए 7 वां दिन समर्पित होता है देवी कालरात्रि शनि ग्रह को नियंत्रित करती हैं। देवी की पूजा से शनि के बुरे प्रभाव कम होते हैं।
आठवां दिन – माँ महागौरी पूजा के लिए 8 वां दिन समर्पित होता है देवी महागौरी राहु ग्रह को नियंत्रित करती हैं। देवी की पूजा से राहु के बुरे प्रभाव कम होते हैं।
नवा दिन- माँ सिद्धिदात्री पूजा के लिए ९ वां दिन समर्पित होता है देवी सिद्धिदात्री केतु ग्रह को नियंत्रित करती हैं। देवी की पूजा से केतु के बुरे प्रभाव कम होते हैं।
शरद नवरात्रि 2021 में नौ रंगों का महत्व
शरद नवरात्रि 2021 नवरात्रि के समय हर दिन का एक रंग तय होता है। मान्यता है कि इन रंगों का उपयोग करने से सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
प्रतिपदा- पीला
द्वितीया- हरा
तृतीया- भूरा
चतुर्थी- नारंगी
पंचमी- सफेद
षष्टी- लाल
सप्तमी- नीला
अष्टमी- गुलाबी
नवमी- बैंगनी
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