PM मोदी पहुंचे केदारनाथ धाम , देहरादून हवाईअड्डे पर मुख्यमंत्री और राज्यपाल ने किया स्वागत
PM मोदी पहुंचे केदारनाथ धाम पहुंचे, PM मोदी आज सुबह उत्तराखंड के देहरादून हवाईअड्डे पहुंचे। हवाईअड्डे पर उत्तराखंड के राज्यपाल रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह और राज्य के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वागत किया। वहां से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी केदारनाथ के लिए रवाना हुए, प्रधानमंत्री ने केदारनाथ पहुंचते ही सबसे पहले प्रधानमंत्री ने बाबा केदारनाथ का रुद्राभिषेक किया और इसके बाद केदारनाथ परिसर में विकास कार्यों का जायजा लिया। और आदि शंकराचार्य की मूर्ति का अनावरण किया, केदारनाथ में PM मोदी ने आज 320 करोड़ की योजनाओं का शिलान्यास और लोकार्पण भी किया।
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उत्तराखंड में केदारनाथ धाम में विकास की कई परियोजनाओं का लोकार्पण भी किया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संबोधन की कुछ मुख्य बातें
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केदारनाथ धाम में पूजा अर्चना करने के बाद अपने संबोधन में कहा-बरसों पहले जो नुकसान यहां हुआ था, वो अकल्पनीय था।जो लोग यहां आते थे, वो सोचते थे कि क्या ये हमारा केदार धाम फिर से उठ खड़ा होगा?लेकिन मेरे भीतर की आवाज कह रही थी की ये पहले से अधिक आन-बान-शान के साथ खड़ा होगा
अब देश अपने लिए बड़े लक्ष्य तय करता है, कठिन समय सीमाएं निर्धारित करता है, तो कुछ लोग कहते हैं कि इतने कम समय में ये सब कैसे होगा! होगा भी या नहीं होगा! तब मैं कहता हूँ कि – समय के दायरे में बंधकर भयभीत होना अब भारत को मंजूर नहीं है यहां पास में ही पवित्र हेमकुंड साहिब जी भी हैं।हेमकुंड साहिब जी के दर्शन आसान हों, इसके लिए वहां भी रोप-वे बनाने की तैयारी है
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रामचरित मानस में कहा गया है-‘अबिगत अकथ अपार, नेति-नेति नित निगम कह’अर्थात्, कुछ अनुभव इतने अलौकिक, इतने अनंत होते हैं कि उन्हें शब्दों से व्यक्त नहीं किया जा सकता।बाबा केदारनाथ की शरण में आकर मेरी अनुभूति ऐसी ही होती है
इस आदि भूमि पर शाश्वत के साथ आधुनिकता का ये मेल, विकास के ये काम भगवान शंकर की सहज कृपा का ही परिणाम हैं।मैं इन पुनीत प्रयासों के लिए उत्तराखंड सरकार का, मुख्यमंत्री धामी जी का, और इन कामों की ज़िम्मेदारी उठाने वाले सभी लोगों का भी धन्यवाद करता हूँ
शंकर का संस्कृत में अर्थ है- “शं करोति सः शंकरः”यानी, जो कल्याण करे, वही शंकर है।इस व्याकरण को भी आचार्य शंकर ने प्रत्यक्ष प्रमाणित कर दिया। उनका पूरा जीवन जितना असाधारण था, उतना ही वो जन-साधारण के कल्याण के लिए समर्पित थे
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एक समय था जब आध्यात्म को, धर्म को केवल रूढ़ियों से जोड़कर देखा जाने लगा था।लेकिन, भारतीय दर्शन तो मानव कल्याण की बात करता है, जीवन को पूर्णता के साथ, holistic way में देखता है।आदि शंकराचार्य जी ने समाज को इस सत्य से परिचित कराने का काम किया,अभी दो दिन पहले ही अयोध्या में दीपोत्सव का भव्य आयोजन पूरी दुनिया ने देखा।भारत का प्राचीन सांस्कृतिक स्वरूप कैसा रहा होगा, आज हम इसकी कल्पना कर सकते हैं,
अब हमारी सांस्कृतिक विरासतों को, आस्था के केन्द्रों को उसी गौरवभाव से देखा जा रहा है, जैसा देखा जाना चाहिए।आज अयोध्या में भगवान श्रीराम का भव्य मंदिर पूरे गौरव के साथ बन रहा है, अयोध्या को उसका गौरव वापस मिल रहा है
Documentary oldest religious place in the world-Triyugi Narayan Temple Kedarnath Uttarakhand