Chopta Tungnath is one of the beautiful place of Uttarakhand
चोपता तुंगनाथ-Chopta Tungnath
चोपता तुंगनाथ Chopta Tungnath में बाबा भोले नाथ जी का मंदिर है उत्तराखण्ड के रुद्रप्रयाग जिले में तुंगनाथ की पहाड़ी पर स्थित है ये जगह धार्मिक प्रेमियों के साथ साथ प्रकृतिक प्रेमियों के लिए भी सबसे अच्छी जगह मानी जाती है चोपता उत्तराखंड जहां विश्व की सबसे ऊंचाई पर बसा पौराणिक शिव मंदिर है जिसे इस मंदिर को बाबा तुंगनाथ जी के नाम से भी जाना जाता है

Chopta Tungnath तुंगनाथ मंदिर, जो लगभग 3460 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है समुद्रतल से लगभग 12000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है और पंच केदारों में सबसे ऊँचाई पर स्थित है। इस मंदिर को लगभग 1000 वर्ष पुराना माना जाता है इस स्थान पर भगवान शिव की पंच केदारों में से एक के रूप में पूजा होती है।
इस मंदिर में भगवान शिब के बाहु और हिर्दय की लिंग रूप में पूजा की जाती है| तुंगनाथ मंदिर के बारे में कहा जाता है कि इस मंदिर का निर्माण पांडवों द्वारा किया गया था पांडवों ने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए इस मंदिर का निर्माण किया,

Chopta Tungnath बाबा तुंगनाथ मंदिर से लगभग ढाई किलो मीटर ऊपर पहाड़ी चोटी पर चंद्रशिला है माना जाता है कि यहां पर भगवान राम ने शिव जी की तपस्या की थी और इसी चोटी के निचे और ठीक सामने रावण शिला है, यहां के बारे में माना जाता है कि रावण ने भी इस स्थान पर भगवान शिव की तपस्या की थी यह एक ऐसी जगह है जहां पर राम और रावण दोनों ने भी भगवान शिव की तपस्या की थी
ट्रैकिंग के शौकीन ट्रैकिंग के लिए चंद्रशिला की इस पहाड़ी पर भी जाते हैं यहां जाने का रास्ता बड़ा दुर्गम और खतरनाक है

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Chopta Tungnath के बारे में यह भी कहा जाता है कि माता पार्वती ने विवाह से पहले यहां पर शिव भगवान की तपस्या की थी
सर्दियों में बाबा तुंगनाथ मंदिर के कपाट 6 महीने के लिए बंद रहते हैं उस दोरान तुंगनाथ जी की डोली अपनी शीतकालीन गद्दीस्थल मार्कंडेय मंदिर मक्कूमठ में चली जाती हैं
बस या गाड़ी से आप चोपता तक आ सकते हैं सड़क मार्ग से यहां पर लगभग ढाई से 3 किलोमीटर पैदल चलना पड़ता है अधिक ऊंचाई पर होने के कारण इस मंदिर को हिमालय की सबसे सुंदर जगहों में से एक माना गया है,
सड़क मार्ग से आप जेसे जेसे चोपता की ओर पहुंचते हैं सुंदरता यहां की बढ़ती जाती है चारों ओर बांज और बुरांश,देवदार के घने जंगल शांत वातावरण ऐसा लगेगा जैसे पर्वत की गोद में पहुंचने का पूरा आनंद आप को यहाँ रस्ते में मिलेगा
यह के सुंदर नजारे होने के कारण गाड़ी चलाते समय बड़ी सावधानी बरतनी होती है यहाँ सुंदरता में चार चांद तब और भी लग जाते हैं जब आप यहां कस्तूरी मृगों से भी रूबरू हो जाते हैं, दिसंबर से फरवरी महीने में यह जगह बर्फ से पूरी तरह से ढक जाती है तुंगनाथ के आसपास बर्फबारी लगभग नवंबर महीने से शुरू हो जाती है
हमने जो एक डॉक्यूमेंट्री फिल्म बनाई है इसकी शूटिंग नवंबर महीने में की है आप हमारी इस डॉक्यूमेंट्री फिल्म बाबा तुंगनाथ की यात्रा को जरूर देखें जिससे आपको यहां के बारे में काफी कुछ पता चल जाएगा
इस जगह पर आए और इन सुंदर मखमली बुग्याल घास में बने कॉटेज में यहां ना रुके ऐसा हो ही नहीं सकता आपको रात को यहां रुकने का एक अलग ही अनुभव होगा जिसे आप भूलाए भी नहीं भूलेंगे वेसे तो आप के यहां बिताए सरे पल भूलने लायक होते ही नहीं हैं,
जुलाई से अगस्त महीने में यहां की सुंदरता का एक दूसरा सुंदर नजारा आपको देखने को मिलेगा जब यहां दूर तक फैली हुई मखमली बुग्याल घास और उसके ऊपर खिले फूल मन को मोह लेते हैं,प्रकृति के हर नजारे को देखने के लिए यहां दूर-दूर से सैलानी आते हैं
यहां की सुंदरता को देखकर पर्यटक इसकी तुलना स्विजरलैंड से करते हैं और इसे मिनी स्विट्जरलैंड भी कहते हैं
चोपता से तुंगनाथ Chopta Tungnath जाने के लिए आपको घोड़े खच्चर आसानी से मिल जाते हैं यदि आपको यहां के नजारों का लुफ्त उठाना है तो आप पैदल भी जा सकते हैं रास्ते में छोटी-छोटी दुकानें आपको थकान मिटाने के लिए थोड़ी थोड़ी दुरी मिल जाएगी जहां पर आप चाय और पानी ले सकते हैं,वहां पर बैठकर आप प्रकृति का आनंद ले सकते हैं,
चोपता तुंगनाथ Chopta Tungnath कैसे पहुंचे
Chopta Tungnath पहुंचने के लिए नजदीकी रेलवे स्टेशन हरिद्वार और नजदीकी एयरपोर्ट जौलीग्रांट देहरादून में है वहां से आप बस या छोटी प्राइवेट कार से ऋषिकेश ,देवप्रयाग, श्रीनगर, रुद्रप्रयाग, अगस्तमुनि, और उखीमठ, या भीरी, से होकर भी इन रास्तों से चोपता तुंगनाथ पहुंच सकते हैं,सड़क से तुंगनाथ मंदिर लगभग ढाई से 3 किलोमीटर पैदल चलना पड़ता है|
सुनील जमलोकी
Chopta Tungnath की डॉक्यूमेंट्री फिल्म को जरूर देखें