उत्तराखण्ड के पहाड़ी गांव का रहन सहन और अब | mountain village
उत्तराखण्ड के पहाड़ी गांवो की दिनचर्या
उत्तराखण्ड के पहाड़ी क्षेत्र को अपने प्राकृतिक सौंदर्य के लिए जाना जाता है हम आपको पहाड़ी गांवो की रहन सहन और हालात के बारे में बता रहे है की उत्तराखंड में किस प्रकार से रहते है और किस प्रकार की दिनचर्या होती है
हर व्यक्ति अपने रहन-सहन खान-पान एवं दिनचर्या से हर किसी को प्रसन्न और खुश रखने की कोशिश करता है। सादा जीवन व्यतीत करने वाले यहाँ के लोग प्रेम से रहते हैं और एक दूसरे के हर छोटे बड़े काम में हाथ-बंटाते हैं। दोस्तों

उत्तराखण्ड के पहाड़ी गांवो में लोग सुबह सुबह जल्दी उठ जाते है और अपनी रोज की दिनचर्या में लग जाते हैं जानवरों के चारे-पानी से लेकर खेती बाड़ी घर की साफ सफाई अपने खान पान की व्यवस्था करते है।
इन्हें भी पढ़ें-
चम्बा उत्तराखंड का खुबसूरत पर्यटक स्थल में से एक है
शरद पूर्णिमा मां लक्ष्मी किन घरों में आती और खीर का महत्व
गुरुद्वारा दुःखनिवारण साहिब जी पटियाला | Shri Dukh Niwaran Sahib Ji Patiala
हर क्षेत्र की अपनी विशेषता है। हर जगह के फल, फूल, सब्जी आदि अपने विशेष स्वाद के लिए जाने जाते हैं यहाँ कई ऋषि-मुनियों की तपोस्थली रही है|पहाड़ी क्षेत्र बहुत सी पौराणिक कथ प्रसिद्ध हैं।
उत्तराखण्ड गाँव के लोग का जंगल से बड़ा लगाव रहता है ज्यातर वक़्त जंगल या खेतो में ही ब्यस्त रहते है क्यूंकि वही तो है जिस से उनके जीवन की शुरुवात होती है पहाड़ों में गाँव का जीवन कठिन जरूर है पहाड़ो जैसा शुद्ध हवा पानी पेड़ पौधे और पहाड़ो के जैसा खुश मिजाज मौसम कही नहीं मिल सकता है
पलायन इस राज्य की सबसे भीषण समस्या है और पहाड़ी से मैदानी भूभाग की ओर लगातार पलायन कई प्रकार की समस्याओं को जन्म दे रहा है युवा आबादी गांवों से ज्यादातर निकल चुकी है. आछी शिक्षा, बेहतर रोजगार और बेहतर जीवन परिस्थितियों के लिए उनका शहरी और साधन संपन्न इलाकों की ओर रुख करना लाजिमी है. पहाड़ों में फिर कौन रहेगा.
गांव तेजी से खंडहर बन रहे हैं, रही सही खेती टूट और बिखर रही है. कुछ प्राकृतिक विपदाएं, बुवाई और जुताई के संकट, कुछ संसाधनों का अभाव, कुछ माली हालत, कुछ जंगली सुअरों और बंदरों के उत्पात और है. कुछ शासकीय अनदेखियों और लापरवाहियों ने ये नौबत ला दी कई गावों में पानी की भी बड़ी समस्या है